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Saturday, November 18, 2006

बेचारे शर्माजी !

किसी जरुरी काम से शर्मा जी को सफर करके ट्रेन से कहीं जाना पड़ गया आज बुधवार है और शर्माजी को शुक्रवार को जाना है सारे काम इन डेढ़ दिन में पुरे करना हैं। जैसे तैसे शर्माजी ने कुछ काम पुरे किए कुछ काम अधुरे रह गए, इसी भागमभाग में शुक्रवार आ गया 11 बजे की ट्रेन पकड़नी थी अचानक शर्मा जी को याद आया कि वह अपनी घड़ी सुधराना तो भुल गए रास्ते में टाइम का पता नहीं चलेगा घड़ी सुधराना उनके लिए ज़रुरी हो गया अभी 9 बजे है और ट्रेन में 2 घंटे बाकि है, शर्माजी ने अपना पुराना स्कुटर स्टार्ट किया और घर से निकले, आंगन से जैसे ही बाहर होने लगे स्कुटर अचानक बंद हो गया, शर्माजी घबराकर स्कुटर को उल्टा सीधा करते है पता चलता है पेट्रोल खत्म, स्कुटर टेढ़ा करके भी स्टार्ट करने की कोशिश की मगर कोशिश नाकाम हो जाती है, स्कुटर को धक्के लगाकर जैसे तेसे पेट्रोल पंप पहुंचते है, शर्माजी मन ही मन सोचते है घड़ी भी खराब है पता नहीं क्या टाइम हो गया होगा, किसी से टाइम पुछते है तो पता चलता है, अब सिर्फ 1 घंटा 45 मिनिट बचे है और घड़ी सुधराने जाना है।
पेट्रोल भरवाने के बाद थोड़ी दूर निकलते है कि स्कुटर का पिछला टायर पंचर हो जाता है, शर्माजी भगवान को याद करने लगे, 'है भगवान मेरी ट्रेन नहीं निकल जाए' फिर सामने ही पंचर बनाने वाला दिख जाता है उससे पंचर बनवाकर घड़ी वाले की दुकान पर सबसे पहले दीवार पर लगी घड़ी में टाइम देखते है तो वह घड़ी भी बंद सिर्फ 10 - 10 पर अटकी मिली, घबराकर दुकानदार से टाइम पुछते है दुकानदार अपने काम में व्यस्त था, शर्माजी से कहता है "क्यो भाईसाहब क्या काम है? जो काम है बोलो, में यहां घड़ी सुधारने बैठा हूं टाइम बताने नहीं" शर्माजी उससे विनती करने लगते है मेरी घड़ी जल्दी से सुधार दो मुझे में ट्रेन पकड़नी है। घड़ी वाला उनकी हालत देखकर उनकी घड़ी सुधार देता हैं। और शर्माजी जैसे तैसे रेलवे स्टेशन पर पहुंचते है, और कहते है, "है भगवान तेरा शुक्र है टाइम पर पहुंच गया".

शर्माजी बाहर ही ट्रेन के बारे में किसी व्यक्ति से पुछते है तो पता चलता है कि ट्रेन 3 घंटे लेट है,. शर्माजी सर पकड़कर "है भगनान ये हमारी भारतीय रैल भी" स्टेशन पर अंदर आकर बैठने की सोचते है कि वही ट्रेन सामने दिख जाती है, किसी से पुछते है "ये तो 3 घंटे लेट थी भईया टाइम पर कैसे आ गई?" सामने वाला जवाब देता हैं ये कल 3 घंटे लेट थी और कल की बजाए आज आ रही है."

भारतीय रेल भी हमारी.....
होती काश शर्माजी की तरह
तो समय के साथ हम भी पहुंचते चांद पर

2 comments:

रवि रतलामी said...

यह भी खूब रही! बढ़िया :)

Anonymous said...

वाह जी वाह! यह भी खुब रही.