जब वक्त बुरा होता है तो हम उससे हार मान लेते हैं, वक्त से लड़ने के बजाय हताश होकर बैठ जाते है। कामयाब इन्सान वही होता है, जो वक्त को अपने ऊपर हावी नही होने देता। यही है कामयाब ज़िन्दगी का राज़ । सफल व्यक्ति वे होते हैं, जो हंसते - रोते या गुस्से में भी अपने आपको हताश नहीं होने देते, बल्कि हर परिस्थिति में अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरे रहते हैं। आपको हंसता हुआ देखकर आपके साथ सभी हसेंगे, लेकिन आपको रोता हुआ देखकर आपके साथ कोई नहीं रोएगा। जो कामयाब होते है हर लम्हा कामयाब होते हैं, जीत में भी हार में भी। अपनी हार को आप भी अपनी एक मुस्कान के साथ जीत में बदल सकते हैं।
संयम और आत्मविश्वास के साथ चलेंगे तो संकट के बादल अपने आप छंटने लगेंगे। पानी के जहाज चलाने वाले को भी यही सीखाया जाता है। किसी तूफान में फंस जाएं तो तेज़ निकलने की बजाय अपनी रफ्तार धीमें कर लें, सही दिशा में चलेंगे तो कहीं न कहीं पहुंच ही जायेंगे।
अपने अन्दर आत्मविश्वास और संतोष के बगैर आप अपनी परेशानियों से नहीं लड़ सकते। संकट के समय सबसे पहले शरीर को ठीक रखें, क्योंकि जब शरीर ठीक होगा तो मन ठीक होगा और मन ठीक होगा तो सही सोचेगा। अकेले कमरें में बैठकर दीवारों को घूरने के बजाय इस कीमती समय को व्यर्थ गवाने की बजाय योग, प्राणायाम, जिम में लगाए। परेशानी की वजह वक्त नहीं हमारा मन होता है। दुख हमें तब होता है जब मन का नहीं होता।
किसी ने ठीक कहा है, 'मन का हो तो अच्छा और न हो तो ज्यादा अच्छा' । परेशानियों से भागने की बजाय उसका सामना करें, उसकी आंखों में आंखें डालकर देखें इससे आपके मन में उनसे लड़ने की हिम्मत पैदा होगी। वक्त कभी बुरा नहीं होता परिस्थितियाँ या हालात बुरे होते है।
जब तेज़ रोशनी के साथ सूरज निकलता है तो शाम को डूबता भी है। और दूसरे दिन फिर निकलता है। अच्छा वक्त नहीं रहता तो बुरा भी नहीं रहेगा । शाम को अंधेरा होता है तो सवेरे फिर उजाला भी होता है, और वक्त का यही चक्र हमेशा चलता है।
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