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Saturday, November 11, 2006

हास्य व्यंग्य

एक माँ अपने बेटे से कहती है बेटा रोज़ मन्दिर जाया कर प्रभु के दर्शन करा कर। एक दिन बेटा मंदिर जा कर आता है, और अपनी माँ से सारा वृतांत एक कविता के रूप सुनाता है। माँ तू रोज कहा करती थी मंदिर जाया कर। मैं आज मंदिर जा आया हूं, और पूजारी से झपट कर प्रसाद खा आया हूं। मंदिर जाने में फायदा ही फायदा है, देखो चमचमाते बाटा के बूट उठा लाया हूं।

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