शर्मा जी जब ट्रेन में बैठे रास्तें में उनकी मुलाक़ात एक संत से हुई. शर्माजी उनसे बहुत प्रभावित हुए. कहने लगे. "महाशय चलते-चलते मुझे कुछ अच्छी बातें सिखाएं जो मेरे जीवन में काम आए, मुझसे कोई ऐसा काम न हो जिससे मुझे पछताना पड़े. संत जी ने कहा "बेटा अब मैने लोगों को उपदेश देना छोड़ दिया है, मैने देखा कि जब मैं कोई उपदेश देता हूं तो लोग उसे बेकार की बातें, बोर मत करो कहकर रास्ता बदल दिया करते है, लेकिन वही उपदेश जब कोई फिल्म कलाकार के मुंह से सुनते है, तो उसके पीछे दीवाने हो जाते हैं". शर्माजी जिद्द करने लगे मैं फिर भी आपके उपदेश सुनना चाहता हूं. उनकी जिद के आगे संत को आखिर बोलना ही पड़ा. "जीवन में इन्सान को इन तीस गलतियों पर हमेशा ध्यान देना चाहिए".
1. इस ख्याल में रहना कि जवानी और तन्दुरुस्ती हमेशा रहेगी।
2. खुद को दूसरों से बेहतर समझना।
3. अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझना।
4. दुश्मन को कमजोर समझना।
5. बीमारी को मामुली समझकर शुरु में इलाज न करना।
6. अपनी राय को मानना और दूसरों की सलाह को ठुकरा देना।
7. किसी के बारे में मालुम होना फिर भी उसकी चापलुसी में बार-बार आ जाना।
8. बेकारी में आवारा घुमना और रोज़गार की तलाश न करना।
9. अपना राज़ किसी दूसरे को बता कर उससे छुपाए रखने की आशा रखना।
10. आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
11. लोगों की तक़लिफों में शामील न होना, और उनसे मदद की आशा रखना।
12. एक दो मुलाक़ात में ही किसी के बारे में अच्छी राय कायम करना।
13. माता-पिता की देखभाल न करना और अपनी बच्चों से देखभाल की आशा रखना।
14. किसी काम को ये सोचकर अधुरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पुरा कर लिया जाएगा।
15. दुसरों के साथ बुरा करना और उनसे अच्छे की आशा रखना।
16. आवारा लोगों के साथ उठना बैठना।
17. कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना।
18. खुद गलत तरीके से आजीविका कमाना और दूसरों को भी इस रास्ते पर लगाना।
19. झूठी कसम खाकर, झूठ बोलकर, धोखा देकर अपना माल बेचना, या व्यापार करना।
20. ज्ञान, त्याग, धर्म या धार्मिक चीजों को महत्व न देना।
21. मुसिबतों में धेर्य न रखकर चीख़ पुकार करना।
22. गरीबों को अपने घर से धक्का दे कर भगा देना।
23. आवश्यकता से अधिक बातचीत करना।
24. पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार नहीं रखना।
25. अणुव्रत* का पालन न करना।
26. बिना वज़ह किसी के घरेलू मामले में दखल देना।
27. बगैर सोचे समझे बात करना।
28. तीन दिन से ज्यादा किसी का मेहमान बनना।
29. अपने घर का भेद दूसरों पर ज़ाहिर करना।
30. हर एक के सामने अपना दुख दर्द सुनाते रहना।
संतजी ने आगे कहा, "गलती किससे नहीं होती, इंसान गलतियों से भरा हुआ है, और गलतियां करता रहता है. कभी भी कहीं भी किसी भी रुप में, कई बार इंसान अपनी गलतियों से ही सिखता है, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि जिंदगी भर तक गलतियां करता रहे और कहे कि मैं अभी सिख रहा हू. कोशिश करे कि गलती से भी गलती न हो."
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"गलती से भी गलती न हो कभी
ये कसम खाते है अभी
गलती करके न कभी दोहराए
न कहे कि ये है हमारी पहली गलती
गलती करके एक बार में सिख लेंगे
बार बार न करेंगे वही गलती
जिंदगी भर कहते है सिख रहा हूं मैं अभी
है इन्सान की ये सबसे बड़ी गलती
गलती से भी गलती न हो कभी
ये कसम खाते है हम अभी"
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* अणुव्रत - सूक्ष्म नियम
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