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Tuesday, November 28, 2006

हमारा चिट्ठा देखे पूरी दुनिया - अभियान (I)

हमारे चिट्ठे को जन जन तक पहुंचाने के लिये मेरी योजना में कुछ ऐसी उपयोगी टिप्स शामिल है जो हम सभी चिट्ठाकारों को पता होना चाहिये, तथा कुछ ऐसे कार्य भी है जो हमें करना होंगे. यहां मैं जो टिप्स बताने जा रहा हूं हो सकता है उनमें से कई टिप्स आप पहले से जानते होंगे पर ये भी हो सकता है कि ये सभी टिप्स सभी चिट्ठाकारों को नहीं मालुम हो, साथ ही अगर ये टिप्स आपको महत्वपूर्ण लगे तो सभी चिट्ठाकारों तक इस सूचना को पहुंचाने में मेरा सहयोग करें.

1. आम इंटरनेट उपयोगकर्ता हमारे ब्लॉग तक कैसे पहुंचे?

आम उपयोगकर्ता हमारे ब्लॉग तक सर्च इंजन से हिन्दी में मैटर सर्च करके पहुंच पांऐ इसके लिये जरूरी है कि उनको यह बात पता हो कि सर्च इंजन हिन्दी में भी सूचनाए सर्च करके दे सकता है, आम उपयोगकर्ता तक यह सूचना हमें पहुंचानी होगी कि हिन्दी में भी सर्च किया जा सकता है.

इसके लिए इंटरनेट के अलावा अन्य मीडिया का सहारा लेना होगा. सभी ब्लॉगर को मिल कर यह प्रयास करना चाहिए, वर्कशाप आयोजित किए जाने चाहिए, समाचार पत्रों में, टीवी चैनल्स पर और अपने स्तर पर जैसे भी हम कर सके लोगो को यह बताने का प्रयास करना चाहिए कि अंग्रेजी में ही नहीं हिन्दी में भी सूचनाए ढूंढी जा सकती है. हिन्दी में भी सभी प्रकार की जानकारी मिल सकती है. इसके लिए केवल आपको सर्च इंजन में जाकर हिन्दी में टाइप करना होगा.

अगर लोग हिन्दी में सर्च करना प्रारंभ करते है तो उन्हैं हमारे ब्लॉग मिलने लगेंगे

कुछ उदाहरण देखें






2. सर्च इंजन

हमारा चिट्ठा सारी दुनिया देखे इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि वह सभी सर्च इंजन की लिस्ट में हो, सबसे पहले इसकी जांच करले कि आपका ब्लॉग गूगल सर्च इंजन में आता है या नहीं. इसके लिए आप अपने ब्लॉग का नाम जैसे http://nitinhindustani.blogspot.com "सर्च इंजन" में टाइप करके सर्च करके देखे.



अगर आपका ब्लॉग सर्च में नहीं आता है तो इसका मतलब है कि आपका ब्लॉग आम लोगो तक नहीं पहुंच पा रहा है. कुछ सर्च इंजन की लिस्ट यहां दी जा रही है, जिस पर आप अपने ब्लॉग को चेक कर सकते है, कि वह इस सर्च इंजन की लिस्ट में है या नहीं.

www.google.com

www.yahoo.com

www.msn.com

www.alltheweb.com

www.altavista.com

गूगल एक ब्लॉग प्रेमी सर्च इंजन है यदि आपने कोई ब्लॉग बनाया है तो गूगल 4-6 सप्ताह में स्वयं ही आपके ब्लॉग को अपनी लिस्ट में ले लेता है, लेकिन बहुत से सर्च इंजन ऐसा नहीं करते है. ब्लॉग को सम्मिलित करने के लिए सर्च इंजिन्स ने ऐसे वेब पृष्ठ बना रखे है जहां जाकर हम अपने ब्लॉग को शामिल कर सकते हैं.

ऐसे ही कुछ लिंक यहां दिये गये है जहां जाकर आप अपने ब्लॉग को शामिल कर सकते है.

http://www.google.com/addurl/


http://www.submitexpress.com/?source=google


http://www.startranking.com/

इसी प्रकार आप दूसरे सर्च इंजन में अपना ब्लॉग सम्मिलित कर सकते है.

3. लिंक लोकप्रियता

फिर भी यदि आपका ब्लॉग 6 -8 सप्ताह में सर्च इंजन की लिस्ट में नहीं आता है तो
आपके चिट्ठे की कड़ी दूसरे चिट्ठों पर डाले, और बदले में आप अपने चिट्ठे पर दूसरों के चिट्ठों की कड़ियाँ डालें. तो सर्च इंजन स्वयं ही आपकी कड़ी को खोजकर आपके ब्लॉग को अपनी सूची में ले लेगा.
लिंक विनिमय की अधिक जानकारी के लिए यहां पढिएं.

http://akshargram.com/sarvagya/index.php/How_to_create_blogroll

हमारे ब्लॉग के जितने अधिक लिंक होंगे ब्लॉग लोकप्रियता उतनी ही अधिक होगी, और सर्च इंजन में उस ब्लॉग की वरियता उतनी ही अधिक होगी.

4. लिंक लोकप्रियता चेक करने का यंत्र

आप अपने ब्लॉग की लिकं लोकप्रियता चेक करके यह पता लगा सकते है कि आपके ब्लॉग की कितनी कड़िया दूसरे ब्लॉग पर है. जिस ब्लॉग की जितनी अधिक कड़ियां होगी उस ब्लॉग की उतनी ही अधिक लोकप्रियता होगी क्योकि आपके ब्लॉग की कड़ी उपयोगकर्ता को जितने ब्लॉग पर दिखाई देगी उतना ही आपके ब्लॉग का प्रचार होगा. अधिक कड़ियों के कारण सर्च इंजन में उस ब्लॉग की वरियता उतनी ही अधिक होती हैं.
अधिक कड़ियों वाला ब्लॉग सर्च इंजन को प्यारा है. यदि अधिक लिंक लोकप्रियता वाले ब्लॉग पर हमारे ब्लॉग का कड़ी शामिल हो तो हमारा ब्लॉग भी लोकप्रिय होगा साथ ही सर्च इंजन में हमारी वरियता उतनी ही अधिक होगी.

लिंक लोकप्रियता यहां चेक करे

http://www.submitexpress.com/linkpop/

अब आप URL1 में अपना ब्लॉग पता (example : http://nitinhindustani.blogspot.com) टाइप करें और सबमिट बटन प्रेस करें.


नीचे चित्र में दिखाए अनुसार लिंक लोकप्रियता दिखाइ देगी.


चित्र में मेरे ब्लॉग की लिंक लोकप्रियता 123 दिखा रहा है. आप भी अपने ब्लॉग की लोकप्रियता यहां जांचे, उसे बढ़ाने की कोशिश करें, लिंक विनिमय प्रारंभ करें और अपने ब्लॉग को लोकप्रिय करें.

Saturday, November 25, 2006

हिन्दी चिट्ठाकारों के लिए (For Hindi Bloggers)

अक्सर मैंने देखा है कि हम हिन्दी चिट्ठाकार ही एक दूसरे के चिट्ठें पढ़ते रहते हैं, और टिप्पणियां करते रहते है, आम उपयोगकर्ता तक हमारे चिट्ठे पहुंच नहीं पा रहे हैं, आज मैंने सोचा सभी हिन्दी चिट्ठाकारों की लोकप्रियता बढाने के लिए कुछ किया जाए, जिसके लिए मैं एक योजना तैयार कर रहा हूं, जो हिन्दी चिट्ठा परिवार के लिए वरदान साबित होगी. हमारा चिट्ठा आम उपयोगकर्ता तक पहुंच पाएगा. जिसके लिए मेरी एक कोशिश आने वाले सोमवार से शुरु होगी. जिसे सफल करने मैं अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ूंगा.

आपके सहयोग की आशा के साथ.....

आओं कोशिश करे हम सभी हिन्दी चिट्ठाकार
हमारा चिट्ठा देखे पूरा ये संसार......

Friday, November 24, 2006

चिट्ठे की किमत आंकने का यंत्र

यह यंत्र आपके चिट्ठे की किमत डॉलर में बताता है. यह आपके चिट्ठे की किमत उसके लिंक लोकप्रियता के आधार पर बताता है.

यहां क्लिक करें एवं चेक करें.

Thursday, November 23, 2006

इसे भी इसी वक्त धोखा देना था?

कब, कहां, कौन, किसको, कैसे धोखा दें दें............ कह नहीं सकते.

1. टॉकिज में लाइन में लगे, नम्बर आया, टिकिट खत्म........
किस्मत ने धोखा दे दिया.
2. किसी गर्वमेन्ट ऑफिस में ज़रुरी काम के लिए गए, पता चला लंच टाइम है...........
टाइम ने धोखा दे दिया.
3. घर से ऑफिस पहुंचे ज़रुरी फाइल घर भुल आए...........
दिमाग ने धोखा दे दिया.
4. साइकिल लेकर काम से निकले, चैन उतर गई..............
साइकिल ने धोखा दे दिया.
5. कम्प्यूटर फॉरमेट करने के बाद इन्सटालेशन करने बैठे, मेसेज आया ड्राइव रिडिंग एरर .............
सीडी ड्राइव ने धोखा दे दिया.
6. किसी चिट्ठे की चिट्ठी पर टिप्पणी करने गए, टिप्पणी कर भी नहीं पाये और ........
ब्लॉगर ने धोखा दे दिया.
7. ज़रुरी काम से ऑफिस से निकले पता चला गाड़ी का टायर पंचर.....
गाड़ी ने धोखा दे दिया.
8. ज़रुरी फोन करने गये पता चला बैटरी लो...........
मोबाईल ने धोखा दे दिया.
9. प्रिन्टर से प्रिन्ट निकालने गए, इन्क खत्म..........
प्रिन्टर ने धोखा दे दिया.
10. परीक्षा हॉल में बैठे, पेन नहीं चल रहा...............
पेन ने धोखा दिया.
11. एटीएम जाते है केश कराने पता चला मशीन खराब...........
मशीन ने दिया धोखा.
12. अपनी फेवरेट डिश बनाने किचन में गए और ईंधन खत्म.....
गैस सिलेन्डर ने दिया धोखा.
13. सफर के लिए जा रहे है जल्दी जल्दी तैयारी की, कुछ काम पुरे किए कुछ अधुरे छोड़े स्टेशन पहुंचे और पता लगा ट्रेन 4 घंटे देरी से आने वाली है ..........
ट्रेन ने दिया धोखा.

Wednesday, November 22, 2006

गलती से भी गलती न हो कभी

शर्मा जी जब ट्रेन में बैठे रास्तें में उनकी मुलाक़ात एक संत से हुई. शर्माजी उनसे बहुत प्रभावित हुए. कहने लगे. "महाशय चलते-चलते मुझे कुछ अच्छी बातें सिखाएं जो मेरे जीवन में काम आए, मुझसे कोई ऐसा काम न हो जिससे मुझे पछताना पड़े. संत जी ने कहा "बेटा अब मैने लोगों को उपदेश देना छोड़ दिया है, मैने देखा कि जब मैं कोई उपदेश देता हूं तो लोग उसे बेकार की बातें, बोर मत करो कहकर रास्ता बदल दिया करते है, लेकिन वही उपदेश जब कोई फिल्म कलाकार के मुंह से सुनते है, तो उसके पीछे दीवाने हो जाते हैं". शर्माजी जिद्द करने लगे मैं फिर भी आपके उपदेश सुनना चाहता हूं. उनकी जिद के आगे संत को आखिर बोलना ही पड़ा. "जीवन में इन्सान को इन तीस गलतियों पर हमेशा ध्यान देना चाहिए".


1. इस ख्याल में रहना कि जवानी और तन्दुरुस्ती हमेशा रहेगी।
2. खुद को दूसरों से बेहतर समझना।
3. अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझना।
4. दुश्मन को कमजोर समझना।
5. बीमारी को मामुली समझकर शुरु में इलाज न करना।
6. अपनी राय को मानना और दूसरों की सलाह को ठुकरा देना।
7. किसी के बारे में मालुम होना फिर भी उसकी चापलुसी में बार-बार आ जाना।
8. बेकारी में आवारा घुमना और रोज़गार की तलाश न करना।
9. अपना राज़ किसी दूसरे को बता कर उससे छुपाए रखने की आशा रखना।
10. आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
11. लोगों की तक़लिफों में शामील न होना, और उनसे मदद की आशा रखना।
12. एक दो मुलाक़ात में ही किसी के बारे में अच्छी राय कायम करना।
13. माता-पिता की देखभाल न करना और अपनी बच्चों से देखभाल की आशा रखना।
14. किसी काम को ये सोचकर अधुरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पुरा कर लिया जाएगा।
15. दुसरों के साथ बुरा करना और उनसे अच्छे की आशा रखना।
16. आवारा लोगों के साथ उठना बैठना।
17. कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना।
18. खुद गलत तरीके से आजीविका कमाना और दूसरों को भी इस रास्ते पर लगाना।
19. झूठी कसम खाकर, झूठ बोलकर, धोखा देकर अपना माल बेचना, या व्यापार करना।
20. ज्ञान, त्याग, धर्म या धार्मिक चीजों को महत्व न देना।
21. मुसिबतों में धेर्य न रखकर चीख़ पुकार करना।
22. गरीबों को अपने घर से धक्का दे कर भगा देना।
23. आवश्यकता से अधिक बातचीत करना।
24. पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार नहीं रखना।
25. अणुव्रत* का पालन न करना।
26. बिना वज़ह किसी के घरेलू मामले में दखल देना।
27. बगैर सोचे समझे बात करना।
28. तीन दिन से ज्यादा किसी का मेहमान बनना।
29. अपने घर का भेद दूसरों पर ज़ाहिर करना।
30. हर एक के सामने अपना दुख दर्द सुनाते रहना।


संतजी ने आगे कहा, "गलती किससे नहीं होती, इंसान गलतियों से भरा हुआ है, और गलतियां करता रहता है. कभी भी कहीं भी किसी भी रुप में, कई बार इंसान अपनी गलतियों से ही सिखता है, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि जिंदगी भर तक गलतियां करता रहे और कहे कि मैं अभी सिख रहा हू. कोशिश करे कि गलती से भी गलती न हो."


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"गलती से भी गलती न हो कभी
ये कसम खाते है अभी
गलती करके न कभी दोहराए
न कहे कि ये है हमारी पहली गलती
गलती करके एक बार में सिख लेंगे
बार बार न करेंगे वही गलती
जिंदगी भर कहते है सिख रहा हूं मैं अभी
है इन्सान की ये सबसे बड़ी गलती
गलती से भी गलती न हो कभी
ये कसम खाते है हम अभी"
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* अणुव्रत - सूक्ष्म नियम

Sunday, November 19, 2006

हिन्दी चिट्ठाकारों के लिए खुशखबरी..............(Good News For Hindi Bloggers....)

चलो देर से ही भारत सरकार को आखिर इंटरनेट पर हिन्दी में खोज करने वालों की समस्या का ख्याल आ ही गया. मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सीडेक के साथ मिलकर भारत सरकार 'सेतु' नाम से एक खोज इंजन बनाने जा रही हैं. जिसमें अंग्रेजी में मांगे जाने वाले किसी भी विषय को स्वत: ही हिन्दी में अनुवाद कर सभी प्रकार की सुचनाएं आसानी से इंटरनेट उपयोगकर्ता तक पहुंचाई जा सकेगी। अब तक कई भारतीय लोगो को जिन्हें अंग्रेजी में जानकारियों को समझने में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, केवल हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाले इंटरनेट का उपयोग नहीं कर पाते थे। भारत सरकार की मदद से अब उनके लिए हिन्दी में जानकारी हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। अब गांव वासी भी इसका उपयोंग करके हिन्दी में जानकारी मंगवा सकेंगे। तथा उन्हें आसानी से समझ सकेंगे
'सेतु' के काम की शुरुआत के लिए भारत सरकार ने इन्दौर के क्लाथ मार्केट कॉलेज को चुना है, उसके बाद दूसरे हिन्दीभाषी राज्यों में भी यह कार्य शुरु किया जाएगा।
समाचार के मुताबिक अभी यह कॉलेजों, अस्पतालों और सरकारी विभागों में लगाया जाएगा। जिसमें बीमारियों का नाम देकर ही उससे संबंधित इलाज की जानकारी भी हिन्दी में मिल जाएगी ।


बैठा मैं आज लेकर सवेरे जब अख़बार
बन रहा है हिन्दी खोजी इंजन मिला ये समाचार
प्रसन्न हो गया मन जब सोचा ये
टिप्पणी पर ही निर्भर नहीं होगी हमारी प्रसिद्धि
हमें भी खोजेंगे खुद हमारे पाठकगण
हमारा चिट्ठा देखेगा अब पूरा ये संसार
हिन्दी खोजी 'सेतु' बनाने जा रही है हमारी सरकार

Saturday, November 18, 2006

बेचारे शर्माजी !

किसी जरुरी काम से शर्मा जी को सफर करके ट्रेन से कहीं जाना पड़ गया आज बुधवार है और शर्माजी को शुक्रवार को जाना है सारे काम इन डेढ़ दिन में पुरे करना हैं। जैसे तैसे शर्माजी ने कुछ काम पुरे किए कुछ काम अधुरे रह गए, इसी भागमभाग में शुक्रवार आ गया 11 बजे की ट्रेन पकड़नी थी अचानक शर्मा जी को याद आया कि वह अपनी घड़ी सुधराना तो भुल गए रास्ते में टाइम का पता नहीं चलेगा घड़ी सुधराना उनके लिए ज़रुरी हो गया अभी 9 बजे है और ट्रेन में 2 घंटे बाकि है, शर्माजी ने अपना पुराना स्कुटर स्टार्ट किया और घर से निकले, आंगन से जैसे ही बाहर होने लगे स्कुटर अचानक बंद हो गया, शर्माजी घबराकर स्कुटर को उल्टा सीधा करते है पता चलता है पेट्रोल खत्म, स्कुटर टेढ़ा करके भी स्टार्ट करने की कोशिश की मगर कोशिश नाकाम हो जाती है, स्कुटर को धक्के लगाकर जैसे तेसे पेट्रोल पंप पहुंचते है, शर्माजी मन ही मन सोचते है घड़ी भी खराब है पता नहीं क्या टाइम हो गया होगा, किसी से टाइम पुछते है तो पता चलता है, अब सिर्फ 1 घंटा 45 मिनिट बचे है और घड़ी सुधराने जाना है।
पेट्रोल भरवाने के बाद थोड़ी दूर निकलते है कि स्कुटर का पिछला टायर पंचर हो जाता है, शर्माजी भगवान को याद करने लगे, 'है भगवान मेरी ट्रेन नहीं निकल जाए' फिर सामने ही पंचर बनाने वाला दिख जाता है उससे पंचर बनवाकर घड़ी वाले की दुकान पर सबसे पहले दीवार पर लगी घड़ी में टाइम देखते है तो वह घड़ी भी बंद सिर्फ 10 - 10 पर अटकी मिली, घबराकर दुकानदार से टाइम पुछते है दुकानदार अपने काम में व्यस्त था, शर्माजी से कहता है "क्यो भाईसाहब क्या काम है? जो काम है बोलो, में यहां घड़ी सुधारने बैठा हूं टाइम बताने नहीं" शर्माजी उससे विनती करने लगते है मेरी घड़ी जल्दी से सुधार दो मुझे में ट्रेन पकड़नी है। घड़ी वाला उनकी हालत देखकर उनकी घड़ी सुधार देता हैं। और शर्माजी जैसे तैसे रेलवे स्टेशन पर पहुंचते है, और कहते है, "है भगवान तेरा शुक्र है टाइम पर पहुंच गया".

शर्माजी बाहर ही ट्रेन के बारे में किसी व्यक्ति से पुछते है तो पता चलता है कि ट्रेन 3 घंटे लेट है,. शर्माजी सर पकड़कर "है भगनान ये हमारी भारतीय रैल भी" स्टेशन पर अंदर आकर बैठने की सोचते है कि वही ट्रेन सामने दिख जाती है, किसी से पुछते है "ये तो 3 घंटे लेट थी भईया टाइम पर कैसे आ गई?" सामने वाला जवाब देता हैं ये कल 3 घंटे लेट थी और कल की बजाए आज आ रही है."

भारतीय रेल भी हमारी.....
होती काश शर्माजी की तरह
तो समय के साथ हम भी पहुंचते चांद पर

Wednesday, November 15, 2006

कम्प्यूटर ऑपरेट हो अपने आप......!!!!!!! स्वयं करके देखिए..... (PC Will Do Your Work)

सवेरे ऑफिस पहुंचने के बाद जब शर्माजी अपना पीसी ऑन करते है तो देखते है कि इंटरनेट अपने आप कनेक्ट हो जाता है, www.yahoo.com वेब साईट स्वत: ही खुल जाती है, लॉगिन करके स्वत: ही पहुंच जाता है सीधे इनबॉक्स पर, जहां शर्मा जी नई ई-मेल रिसिव होते हुए देखते हैं, चौक गए ना ! शर्मा जी की तरह आप भी अपने पीसी को बिना ऑपरेट करे उससे कुछ भी करवा सकते है। आपका पीसी आपका गुलाम होगा।
यह सब संभव हुआ एक युटिलिटी प्रोग्राम के द्वारा, जिसका नाम है ईज़ी मेक्रों रिकार्डर (Easy Macro Recorder)। इस युटिलिटी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर आप अपने कीबोर्ड और माउस के क्रियाकलापों को एक बार रिकार्ड करके चाहे जितनी बार उसे प्ले कर सकते है।
यह केवल तीन चरणों का कार्य है, रिकार्ड करों, सेव करो, और प्ले करो। इस तरह आप अपने कम्प्यूटर पर करने वाले नियमित कार्यों को स्वचालित करवा सकते है बस उन्हें एक बार रिकार्ड करना होता है, चाहे जितनी बार फिर उसे प्ले किया जा सकता है।
इसके द्वारा आप उन कार्यों को रिकार्ड कर सकते हैं जो आपको अपने पीसी पर बार - बार करने पड़ते है जो समय बर्बाद करते है तथा अधिक स्टेप वाले होते है.
Easy Macro Recorder आपके कम्प्यूटर के की बोर्ड एवं माउस के क्रियाकलापों को एक मेक्रों फाइल में सेव करके रखता है, तथा आवश्यकता पड़ने पर उसे कितनी ही बार और किसी भी समय प्ले कर सकता है।

ईज़ी मेक्रों रिकार्डर को डाउनलोड करना:

आप इस यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को इंटरनेट पर इस पते पर से डाउनलोड कर सकते है।
http://www.flashplayerpro.com/MacroRecorder/downloadMacroRecorder.htm

ईज़ी मेक्रों रिकार्डर का इन्सटालेशन:

सॉफ्टवेयर को सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लेने के बाद आप इसके सेटअप प्रोग्राम पर डबल क्लिक करके पीसी में इन्सटाल कर सकते है।
इन्सटालेशन पूरा होने के बाद आप ईजी मेक्रों रिकार्डर को Start -> Program - > Easy Macro Recorder पर क्लिक करके प्रारंभ कर सकते हैं। या डेस्कटॉप पर रखे ईज़ी मेक्रो रिकार्डर के आइकान पर डबल क्लिक करके प्रारंभ कर सकते है।
प्रोग्राम प्रारंभ होकर यह 'ट्रे आइकान' बन जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
ईज़ी मेक्रों रिकार्डर द्वारा रिकार्ड करना:
रिकार्डिंग को प्रारंभ करने के लिए सिस्टम ट्रे में रखे ईज़ी मेक्रों रिकार्डर के आइकन (Green Color Icon) पर राईट क्लिक करें।
एक पॉपअप मेनु खुलेगा जिसपर 'Record' विकल्प को चूने।
'Save Macro As' डायलॉग बॉक्स खुलेगा। जिसमें आप मेक्रों फाईल का कोई भी नया नाम टाइप करके 'Save' बटन को दबाए। रिकार्डिंग स्टार्ट हो जाएगी, आप जो भी प्रोग्राम या निर्देश रिकार्ड करना चाहते है वही कार्य कम्प्यूटर पर क्रम से करने लगें जैसा की हमेशा करते है।
Easy Macro Recorder आप के द्वारा किए गए सभी क्रिया कलापों को रिकार्ड कर लेगा।
जब रिकार्डिंग चल रही होगी उस समय Easy Macro Recorder का आइकन बदल जाएगा उसकी जगह 'R' चिन्ह दिखाई देगा, अर्थात मेक्रों रिकार्डर अभी रिकार्डिंग कर रहा है।
आपका कार्य पूर्ण हो जाए तो रिकार्डिंग को रोकने के लिए ट्रे आइकन पर राईट क्लिक करके 'Stop' विकल्प चूने।

शार्टकट : F9 रिकार्डिंग प्रारंभ करने के लिए
शार्टकट : F10 रिकार्डिंग को रोकने के लिए

ईज़ी मेक्रों रिकार्डर के द्वारा सेव किए गए मेक्रों को प्ले करना।

सेव किए गए मेक्रों को प्ले करने के लिए आप इज़ी मेक्रों रिकार्डर के आइकॉन पर राईट क्लिक करें- पॉपअप मेनु से 'Play back' विकल्प चूने।
'Select Macro File to Play back' डायलॉग बॉक्स आपके कम्प्यूटर की स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा। अब फाइलों की सूची में से आप अपनी मेक्रों फाइल चून कर 'Open' बटन प्रेस करे।
मेक्रों प्ले होना प्रारंभ हो जाएगा और कम्प्यूटर वे सारे कार्य अपने आप करना प्रारंभ कर देगा जो आपने रिकार्ड किए है। इस दौरान ईज़ी मेक्रों रिकार्डर का आइकान बदल कर 'P' प्रदर्शित कर रहा है।
मेक्रों की प्लेबेक होने की प्रक्रिया को आप किसी भी समय 'F8' बटन दबा कर रोक सकते है।
इसी प्रकार आप अपने नियमित किए जाने वाले कार्य को स्वचालित कर सकते हैं।
और विभिन्न प्रकार के कार्यो के करने के लिए भिन्न - भिन्न मेक्रों बना सकते है।

Monday, November 13, 2006

क्या आपका बच्चा आपकी बात नहीं मानता?

आजकल के माता पिता को यही चिंता रहती है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं मानते. ज़िद्दी होते जा रहे है, हर बात का पलटकर जवाब देते है, कई बच्चे दूसरों के सामने उनकी इज्जत नहीं करते. बच्चे प्लेन पेपर होते हैं जैसा नक्श बनायेंगे वह वैसा ही बनेगा. किसी जमाने में बड़ों के सामने बच्चे सर झुकाये खड़े रहते थे. हर काम के लिए अपने बड़ों की आज्ञा का इन्तजार करते थे. बदलते हुए इस दौर में आपके बच्चे आपकी आज्ञा का इन्तजार करेंगे यह सोचना शायद गलत होगा. बच्चो की परवरिश में कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा.
1. बच्चो के साथ उनकी उम्र के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए, कई माता-पिता बच्चों के साथ दोस्तों या हमउम्र की तरह बातें करने लगते जिससे बच्चों को लगने लगता हे कि ये तो हमारे जैसे ही हे. बच्चे इस समय दिमागी रुप से तैयार हो रहे होते है तो छोटी - छोटी बातें भी उनके दिमाग में घर कर जाती है, जिससे बदलना आगे जाकर बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिये बच्चो के साथ वक्त और हालात देखकर व्यवहार करें. प्यार के साथ साथ वक्त आने पर डांट फटकार या गुस्से का भी इज़हार करें.
2. बच्चों की हर जिद्द पुरी नहीं करनी चाहिए, इससे बच्चों का व्यवहार बिगड़ जाता है, वह जिद्दी हो जाते है, अगर बच्चे जिद्द करने लगे तो पहले उन्हे प्यार से समझाए फिर भी न माने तो गुस्से का इज़हार करें.
3. बात - बात पर पलटकर जवाब देने और चिल्लाकर बोलने से उन्हें रोकना चाहिए.
4. गुस्सा करना, बात -बात पर रुठकर मुँह फुलाना, बहुत ज्यादा और बहुत ज़ोर से हंसना, चुगली खाना, गाली बकना ये ऐसी खराब आदतें है जो एक बार पड़ गई तो उम्र भर नहीं छुटती है. इनसे बच्चों को रोकना चाहिए.
5. अगर बच्चा कहीं से किसी की चिज उठाकर ले आए तो उस पर सभी परिवार वालों को उससे खफा हो जाना चाहिए. बच्चे को बच्चे को समझाए कि ऐसा करना चोरी है जो कि एक बुरा काम है। उसे शर्म का एहसास कराए, बच्चे को मजबुर करे कि उस चिज को वही छोड़ आए जहां से लाया हे. ऐसे कामों से उसे नफरत दिलाने की कोशिश करे, कान पकड़कर उससे सॉरी कहलवायें, हाथ धुलाये कि तुमने गन्दा काम किया है फिर कभी ऐसा काम मत करना, जिससे उसके दिमाग में बैठ जाए कि किसी की चिज उठाना चोरी है और चोरी एक बुरा काम है।
6. बच्चे गुस्से में कोई चिज तोड़फोड़ करे, या किसी पर हाथ उठाये तो फौरन उसे डांटे, ऐसे समय में लाड़ प्यार न करे।
7. बचपन से ही उन्हें अपना काम खुद करने की आदत डाले. अपना स्कुल बेग, किताबें, अपने कपड़े खुद अपने हाथ से अपनी जगह पर रखे।
8. लोगों से मिलने जुलने, खाने पीने, शादी, पार्टी में उठने बैठने का तरीका सिखाना माता - पिता का फर्ज है।
9. कभी कभी घर के बुजुर्ग जैसे दादा-दादी, नाना- नानी आदि भी अधिक लाड़ प्यार में बच्चों को बिगाड़ देते हैं वे ये नहीं सोचते कि इस तरह वे बच्चो का भला नहीं बल्कि बुरा ही कर रहे है।

Saturday, November 11, 2006

क्या आप हमेशा यही कहते हैं, 'अभी मूड नहीं है'

अधिकतर लोग मूडी होते है। मूड होता है तो काम करते है नहीं तो ये कह कर टाल देते हैं, कि 'अभी मूड नहीं है'। यदि आप भी ऐसा ही करते हैं, तो मेरी यही सलाह है कि आप इन बातों को ध्यान से पढ़े,तो हो सकता है आप मूड में आ जाए। समय पर करे हर काम का एक समय होता है, उसे उसके सही समय पर करे, टाले नहीं।
हमारे देश में पुरानी एक कहावत है, 'रहा काम राजा से भी नहीं होता'। जी न चुराऐं कभी - कभी हम किसी काम को करने के लिए इसलिए जी चुराते हैं कि कहीं न कहीं हमारे मन के किसी कोने में छुपा होता है कि इस काम में हम सफल होंगे या नहीं। काम को शुरू करने से पहले अपने आपको परख लें आप उस कार्य में पारंगत हैं या नहीं। यदि आप उस कार्य के काबिल हैं तो निश्चित रूप से आप सफल होंगे। रूचिकर कार्य पहले करे यदि आप पसंदीदा कामों से शुरूआत करेंगे तो नापसंदीदा काम स्वतः होते जायेंगे। काम की शुरूआत यदि तेजी से हो तो उसके बीच आने वाली बाधायें आसानी से दूर होती जायेंगी।
काम को एक अलग अंदाज में करे नापसंद काम को करने से बचने के लिए उसे इस अंदाज में करें कि आगे चलकर कर वह आपका पसंदिदा काम बन जाए। अपना ध्यान रूचिकर कार्यों में पहले लगाये यदि आपका ध्यान सबसे ज्यादा अरूचिकर कामों में लगा रहेगा तो रूचिकर कार्य नहीं कर पायेंगे। अपने ध्यान को ऐसे कामों में लगाये जो आपको महत्वपूर्ण लगे। अपनी तारीफ खुद करें आपका काम पूरा हो जाए, और कोई आपको प्रेरित न करें तो अपना कांधा खूद थपथपाएं। इससे आपका हौसला बढ़ेगा, अपने काम के प्रति आपके मन में विश्वास बढ़ेगा।
जिस सपने को आप साकार करना चाहते हैं, उस सपने को पूरा करने में कभी - कभी ऐसे अरूचिकर काम भी निकल आते है, जो जरूरी होने पर भी उनमे दिलचस्पी नहीं होती। मेरे विचार में ऐसे कामों को फिर भी कर ही डालिये, आगे आपको ही फायदा होगा। इस लेख में आपको कोई भी कमी लगे, या आपके मन में इसे लेकर कोई भी सवाल हो तो मुझे कमेन्ट के द्वारा लिख भेजें।

वक्त को हावी न होने दें

जब वक्त बुरा होता है तो हम उससे हार मान लेते हैं, वक्त से लड़ने के बजाय हताश होकर बैठ जाते है। कामयाब इन्सान वही होता है, जो वक्त को अपने ऊपर हावी नही होने देता। यही है कामयाब ज़िन्दगी का राज़ । सफल व्यक्ति वे होते हैं, जो हंसते - रोते या गुस्से में भी अपने आपको हताश नहीं होने देते, बल्कि हर परिस्थिति में अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरे रहते हैं। आपको हंसता हुआ देखकर आपके साथ सभी हसेंगे, लेकिन आपको रोता हुआ देखकर आपके साथ कोई नहीं रोएगा। जो कामयाब होते है हर लम्हा कामयाब होते हैं, जीत में भी हार में भी। अपनी हार को आप भी अपनी एक मुस्कान के साथ जीत में बदल सकते हैं।
संयम और आत्मविश्वास के साथ चलेंगे तो संकट के बादल अपने आप छंटने लगेंगे। पानी के जहाज चलाने वाले को भी यही सीखाया जाता है। किसी तूफान में फंस जाएं तो तेज़ निकलने की बजाय अपनी रफ्तार धीमें कर लें, सही दिशा में चलेंगे तो कहीं न कहीं पहुंच ही जायेंगे।
अपने अन्दर आत्मविश्वास और संतोष के बगैर आप अपनी परेशानियों से नहीं लड़ सकते। संकट के समय सबसे पहले शरीर को ठीक रखें, क्योंकि जब शरीर ठीक होगा तो मन ठीक होगा और मन ठीक होगा तो सही सोचेगा। अकेले कमरें में बैठकर दीवारों को घूरने के बजाय इस कीमती समय को व्यर्थ गवाने की बजाय योग, प्राणायाम, जिम में लगाए। परेशानी की वजह वक्त नहीं हमारा मन होता है। दुख हमें तब होता है जब मन का नहीं होता।
किसी ने ठीक कहा है, 'मन का हो तो अच्छा और न हो तो ज्यादा अच्छा' । परेशानियों से भागने की बजाय उसका सामना करें, उसकी आंखों में आंखें डालकर देखें इससे आपके मन में उनसे लड़ने की हिम्मत पैदा होगी। वक्त कभी बुरा नहीं होता परिस्थितियाँ या हालात बुरे होते है।
जब तेज़ रोशनी के साथ सूरज निकलता है तो शाम को डूबता भी है। और दूसरे दिन फिर निकलता है। अच्छा वक्त नहीं रहता तो बुरा भी नहीं रहेगा । शाम को अंधेरा होता है तो सवेरे फिर उजाला भी होता है, और वक्त का यही चक्र हमेशा चलता है।

हास्य व्यंग्य

एक माँ अपने बेटे से कहती है बेटा रोज़ मन्दिर जाया कर प्रभु के दर्शन करा कर। एक दिन बेटा मंदिर जा कर आता है, और अपनी माँ से सारा वृतांत एक कविता के रूप सुनाता है। माँ तू रोज कहा करती थी मंदिर जाया कर। मैं आज मंदिर जा आया हूं, और पूजारी से झपट कर प्रसाद खा आया हूं। मंदिर जाने में फायदा ही फायदा है, देखो चमचमाते बाटा के बूट उठा लाया हूं।

प्रधानमंत्री के घर डेंगू (The PM and Dengue)

खबर आइ है कि प्रधानमंत्री के घर डेंगू पहुंच गया है। अरे भाइ आप ही बताए कि इस बेचारे डेंगू को क्या पता कि प्रधानमंत्री के घर सिक्यूरिटी है बिना इजाजत अन्दर जाना मना है। वो तो जैसे किसी गरीब की कुटिया में पहुंच जाता है वैसे ही प्रधानमंत्री के घर भी पहुंच गया । ये बात ओर है कि प्रधानमंत्री के पास नहीं पहुंचा। ज्यो हीं डेंगू प्रधानमंत्री के घर पहुंचा सरकार हरकत में आ गइ उसे मारने के लिये केमिकल छिड़काये गये । चलो अच्छा हुआ कम से कम दिल्ली वालों को इस डेंगू की मदद से ही डेंगू से पीछा छुड़ाने का रास्ता तो मिला।

ऐसे बढाएँ बच्चों की याददाश्त (How To Improve Mind Power)

टेक्नोलॉजी के विकास ने नई पीढ़ी के लिये प्रत्येक क्षैत्र में कई प्रकार की प्रतियोगिताओं को भी जन्म दिया हैं। प्राइमरी स्कूल में कदम रखते ही बच्चों को कई प्रतियोगिताओं का सामना करना पड़ता हैं कुछ बच्चे दिमागी रूप से कमजोर होते हैं वे इन प्रतियोगिताओं में दूसरे बच्चों से पीछे रह जाते हैं । बच्चों में याददाश्त बढाने के लिये यहां कुछ ऐसे टिप्स दिये जा रहे है जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों में शारीरिक, बोद्धिक विकास के साथ साथ बच्चों में आत्मविश्वास भी जरूर पायेंगे। बच्चों की शिक्षा में माता - पिता का योगदान बच्चों की शिक्षा में माता - पिता की एक अहम भूमिका होनी चाहिये । बच्चे जब स्कूल से घर आते है तो उनसे स्कूल के बारे में बातें करना चाहिये। जिससे स्कूल व पढाई के प्रति उनके मन में रूचि जागृत होगी । बच्चों में ब्रेकफास्ट की आदत डाले ब्रेकफास्ट से बच्चों में सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है। ब्रेकफास्ट में पोष्टिक आहार शामिल होने चाहिये। आप जानते है ब्रेकफास्ट नहीं करने वाले बच्चों में काफी कमियाँ हो जाती है जैसे आलस्य, अरूचि, उदासिनता, स्कूल व पढ़ाई से जी चुराना आदि। बच्चों के होमवर्क में माता - पिता की भूमिका 30 से 60 मिनट बच्चों के साथ होमवर्क करने में मदद करें । बच्चों के दिमागी विकास के लिये उसे नियमित होमवर्क की आदत डाले। बच्चों को प्यार और प्रोत्साहन दें बच्चों को प्यार और प्रोत्साहन दें मगर जरूरत से ज्यादा डांट व प्यार भी उनके लिये ठीक नही होता है। बच्चों की छोटी समस्याओं को सुलझाने में उनकी मदद करे । उनके सवालों के सही जवाब दें तथा उनका मार्ग दर्शन करें जिससे उनकी सोच, स्मरणशक्ति एवं समस्याओं को सुलझाने की क्षमताओं में वृद्धि होगी। बच्चों से बहुत अधिक आशाये न रखें अधिकतर माता - पिता बच्चों पर उनकी योग्यता से अधिक आशायें रखतें है जिन्हें बच्चे पूरा नही कर पाते इसलिये वह मानसिक रूप से परेशान रहते है। माता - पिता को चाहिये कि वह अपने बच्चों से उनकी योग्यता व उम्र के अनुसार ही आशायें रखें। अन्य गतिविधियों के लिये भी बच्चों को प्रोत्साहित करें बच्चों को शारीरिक रूप से प्रबल बनाये । स्कूल पढाई के साथ साथ अन्य गतिविधियों के लिये भी प्रेरित करें जैसे स्पोर्टस, स्वीमिंग, योगा, मेडिटेशन, डान्सिंग, ड्राईंग, पेन्टिंग, गेम्स, स्केटिंग, कम्पयूटर तथा उन्हें नई भाषायें सीखने के लिये भी प्रेरित करे। जो उनके शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक होंगे। बच्चों को म्यूजिक सीखायें म्यूजिक से बच्चों में शारीरिक व मानसिक विकास के साथ - साथ क्रिएटिविटि भी डेवलप होगी जिससे मेथ्स व साइंस उसे रोचक व आसान लगने लगेंगे।