एक दिन मैने देखा कि कहीं दूर तलक कोई नहीं,
चारों तरफ एक सुनापन, विरानी ही विरानी
वहीं पर फिर मुझे दूर क्षीतिज पर
आसमान और धरती मिलते हुए दिखाई दिए
ये नजारा देखकर एक पल के लिये
मेरा दिल खुश हो गया कि, देखो !
जमीन और आसमान का मिलन हो रहा है....
लेकिन अगले ही पल अचानक मुझे ध्यान आया कि
यह तो सिर्फ नज़र का धोखा है
अगर में उस जगह पर जाऊं जहां पर
इनका मिलन होते हुए दिखाई दे रहा है तो वहां
से भी यह उतने ही दूर दिखाई देंगे
शायद कभी जमीन आसमान का मिलन हो,
मगर मेरे ख्याल से वह दुनिया का आखरी दिन होगा
......................................................शमशाद
Friday, May 30, 2008
एक दिन मैने देखा.............
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4 comments:
बहुत सुंदर..
दिन मैने देखा कि कहीं दूर तलक कोई नहीं,
चारों तरफ एक सुनापन, विरानी ही विरानी
वहीं पर फिर मुझे दूर क्षीतिज पर
आसमान और धरती मिलते हुए दिखाई दिए
ये नजारा देखकर एक पल के लिये
बहुत सुन्दर।
निराला अंदाज.
क्षितिज पर मिलते हैं जमीं और आसमाँ,
हकीकत में यह संभव नहीं,
खुश होते रहे हम सपनों को देख,
जो हम खोज रहे, वह वैभव नही.
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